जगमगाते शहर के रानाईयों में, क्या न था
ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था ।।
मिलते चले लोग कई, राह में क्या न था
ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही सुकून ना ।।
उजले चांद की चांदनी में, क्या न था
ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही तारा न था ।।
मैं वही, तुम वही, यह रास्ते, मंजिल वही,
इस सफर में क्या न था ?
ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था।।
जगमगाते शहर के रानाईयों में, क्या न था
ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था ।।
-@maira