उसने पूछा मुझसे He asked me)


उसने पूछा मुझसे



एक दिन उसने , पूछा मुझसे
क्या यूँ ही नई - नई बातें होतीं रहेंगी मुझसे? 

सुना था उसने कहीं , किसी के मुख से
कि अकसर बातें हो जाती हैं बेज़ार 
रोज यूहीं करते - करते किसी से ।

मैंने उससे कहा हँस कर, 
                 छोड़ो भी ये सारी बातें अब से...।


ना हम ज़माने से  और ना ज़माना हमसे
जानती हूँ तो बस इतना कि , 
मुझे सच्ची मोहब्बत है तुमसे।

हाँ वक़्त बदलेगा, कम होने लगेंगी तेरी बातें मुझसे, 
पर ना होंगी ये बेज़ार, मेरी तुझसे...तेरी मुझसे।।


मेरी रचना मेरी कल्पना

6 comments:

Manish said...

अति सुंदर लाइन

Maira said...

धन्यवाद जी

Umesh singh said...

Superb.....

Maira said...

Thank u ji

Unknown said...

wow 😍😍
greal mammu 😘

Maira said...

Thanks ji...

शहर की रानाईयां

 जगमगाते शहर के रानाईयों में, क्या न था  ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था ।।  मिलते चले लोग कई, राह में क्या न था  ढूंढने निकला था ...