मेरी जिंदगी( My Life)


मेरी जिंदगी


ये मैं कैसी जिंदगी जी रही
कुछ बातों- यादों में..... 

ख़ुद को साबित कर रही
ख्वाबों - इरादों में...... 

ज़ुबां से मैं सच कह रही
सब ढूंढे सबूतों - गवाहों में... 

ये मैं कैसी जिंदगी जी रही
कुछ बातों- यादों में...... 

मैं चलती- ठेहरती जा रही
कहीं दूर - दराज़ो में..... 

मैं, मुझे ही ढूँढती फ़िर रही
गहरे अँधेरे - उजालों में....

बहुत कुछ खोते जा रही
चाह कुछ पाने में..... 


तू ही बता ए - जिंदगी,, 


तुझे , कैसे मैं जीती जा रही
गैर शहर की बाहों में.....।।


मेरी रचना मेरी कल्पना






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