सर झुकाओगे तो , पत्थर देवता हो जायेगाइतना मत चाहो उसे , वो बेवफा हो जायेगा ||हम भी दरिया हैं , हमें भी अपना हुनर मालूम हैजिस तरफ चल पड़ें , रस्ता हो जायेगा ||मैं उसका नाम लेकर पी रही हूँ दोस्तों ,ज़हर भी इसमें गर होगा तो , दवा हो जायेगा ||

मेरी रचना मेरी कल्पना
No comments:
Post a Comment