कौन जाने ये सफर कितना है.....ना ख्वाहिशें , ना उम्मीद का बिखरना हैइसमें हरदम खुशी से चलना हैकौन जाने ये सफर कितना है.....ना आंखों में दिलकश सूरत तेरी ,ना शौक अमीरी रखना हैइसमें हर पल तेरी मोहब्बत में जीना हैकौन जाने ये सफर कितना है......ना तुझे , ना तेरी चाहत को जीतना हैइसमें हर दिन बेखौफ तेरी यादों में रहना हैकौन जाने ये सफर कितना है....ना तेरे पास आना ,ना तुझसे दूर जाना हैइसमें हर शाम का गीत तेरे साथ गुनगुनाना हैकौन जाने ये सफर कितना है....ना अपना ,न पराया कह लाना हैइसमें तेरी प्यारी यादों के साथ गुजर जाना है-Maira
सोच की कोई दिशा नहीं पर समझ की सुन्दर काया है Soch ki koi disha nahi pr samjh ki sundar kaya hai.
Safar ( Journey)
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शहर की रानाईयां
जगमगाते शहर के रानाईयों में, क्या न था ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था ।। मिलते चले लोग कई, राह में क्या न था ढूंढने निकला था ...

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तुमसे मिलकर ही तो मैंने जाना है , चाहतों का सिलसिला शायद बहुत पुराना है खुली आँखों से तेरा ख्वाब देखना , ये कैसा अफसाना है ? ...
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