Meri Diary


  मेरी डायरी
 
 
         पलटे जो पन्ने अपनी डायरी के, 
         इस बात से रूबरू हुई .. ....... ।। 

डूबो लो भले कलम कई रंगीन स्याही में, 
लिखावट के लिए एक स्याही जरूरी हुई... ।। 
 
पहले पृष्ठ पर सुंदर चित्रकारी ,
अंतिम पृष्ठ शायरी के........... 

दोनों ही सुखद बस मध्य में, 
उलझनों की स्याही बिखरी हुई..... । । 

बहुत भाग अभी खाली है डायरी में, 
अब कल्पना की नहीं, अनुभव की लेखनी मेरी हुई।। 

 पलटे जो पन्ने अपनी डायरी के, 
  इस बात से रूबरू हुई .. ....... ।। 


शहर की रानाईयां

 जगमगाते शहर के रानाईयों में, क्या न था  ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था ।।  मिलते चले लोग कई, राह में क्या न था  ढूंढने निकला था ...