हसरत
वक़्त की गोद में छुपी बैठी है ;
उसे पाने की हसरत मेरी........
अजीब इत्तेफाक है....
वो भुलाये नहीं भूलता,
उसे ' मैं ' याद भी नहीं .....।
गर पा भी लूँ उसे,
एक रोज मैं......;
ये मुकम्मल - ए - हसरत तो नहीं.....।
अक्सर नजदीकियां हैं ,
इश्क़ का रवैय्या बदल देतीं.....।। -@maira
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