तेरे करीब (Tere karib)

 

                   तेरे करीब 


तेरे करीब रहूं या कि दूर जाऊ मैं 

है दिल का एक ही आलम ,

बस तुझी को चाहूँ मैं ............. 

     मैं जानती हूँ वो रखता है चाहते कितनी 

     मगर ये बात उसे किस तरह बताऊं मैं 

जो चुप रही तो वो समझेगा बदगुमान मुझे 

बुरा भला ही सही कुछ तो बोल आऊं मैं 

     फिर चाहतों मैं फासला होगा 

     मुझे संभाल के रखना बिछड़ न जाऊँ मैं 

मुहब्बत्तो की परख का यही तो रस्ता है 

तेरी तलाश में निकलूं , तुझे ना पाऊँ मैं 

    तेरे करीब रहूं या कि दूर जाऊ मैं 

है दिल का एक ही आलम ,

बस तुझी को चाहूँ मैं .......।। #चंदनदास 





Comments

Manish said…
बहुत सुंदर रचना
Maira said…
शुक्रिया
Maira said…
Absolutely! ...
Thanks🌺

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