कुछ ख़ास नहीं (kuch khaas nahi )

कुछ ख़ास नहीं 


कोई तुमसे पूछे , मैं कौन हूँ ?

तुम कह देना , कुछ ख़ास नहीं |

                                     एक दोस्त है कच्चा - पक्का सा 

                                      एक झूठ है कुछ सच्चा सा 

एहसास के परदे से छिपा 

ये जज्बा है कुछ अच्छा सा 

                                     दूर होकर भी वो पास नहीं ,

 कोई तुमसे पूछे , मैं कौन हूँ ?

तुम कह देना , कुछ ख़ास नहीं || 







2 comments:

Herry thapa said...

Kuch khas nhi hote he wo log par bhut khas hote he wo log

Maira said...

Ha bilkul

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