इस सोच में बैठा हूँ , क्या ग़म उसे पंहुचा है
बिखरी हुयी जुल्फें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ...
मुड़कर भी नही देखा, झोंके की तरह उसने
वो मेरे बराबर से, हँसता हुआ गुजरा है
बिखरी हुयी जुल्फें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ...
इस सोच में बैठा हूँ , क्या ग़म उसे पंहुचा है
बिखरी हुयी जुल्फें हैं, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच में बैठा हूँ... @Chandandas 💜❤
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