सोच की कोई दिशा नहीं पर समझ की सुन्दर काया है
Soch ki koi disha nahi pr samjh ki sundar kaya hai.
Get link
Facebook
X
Pinterest
Email
Other Apps
चाँद (Chaand)
चाँद
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ आज फिर महकी हुई रात में जलना होगा आज फिर सीने में उलझी हुई वज़नी साँसें फट के बस टूट ही जाएँगी, बिखर जाएँगी आज फिर जागते गुज़रेगी तेरे ख्वाब में रात आज फिर चाँद की पेशानी से उठता धुआँ
Comments