दोस्त बन बन के मिले
दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले मैने देखे हैं कई रंग बदलने वाले तुमने चुप रहके सितम और भी ढाया मुझपर तुमसे अच्छे हैं मेरे हाल पे हँसने वाले मैं तो इखलाक़ के हाथों ही बिका करता हूँ और होंगे तेरे बाज़ार में बिकने वाले अखिरी दौर पे सलाम-ए-दिल-ए-मुस्तर लेलो फिर ना लौटेंगे शब-ए-हिज्र पे रोनेवाले...@Jagjit Singh (singer)
1 comment:
Superb
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