वो हम-सफ़र था (Wo Hamsafar tha)

                



वो हम-सफ़र था



वो हम-सफ़र था मगर उस सेहम-नवाईथी

कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई थी

अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत

बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई थी

बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल

ग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई थी

किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन

सदा तो आई थी लेकिन कोई दुहाई थी


वो हम-सफ़र था मगर उस सेहम-नवाईथी

कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई थी

@Naseer Turabi




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