चौदहवीं की रात Chaudavi ki raat
-@Insha
कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
कुछ ने कहा ये चाँद है
कुछ ने कहा, चेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
हम भी वहीं, मौजूद थे
हम से भी सब पुछा किए
हम हँस दिए, हम चुप रहे
मंज़ूर था परदा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...
इस शहर में किस से मिलें
हम से तो छूटी महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले
हर शख्स दीवाना तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...
कूचे को तेरे छोड़ कर
जोगी ही बन जाएँ मगर
जंगल तेरे, पर्वत तेरे
बस्ती तेरी, सेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...
बेदर्द सुन्नी हो तो चल
कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक तेरा, रुसवा तेरा
शायर तेरा, इंशा तेरा||😍
कल चौदहवीं की रात थी...
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