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विशिष्टता
हम विशिष्ट नहीं बन पाते ,
क्योंकि हम नहीं स्वीकारते
गलती, दुख, प्रेम और न जाने क्या - क्या ।।
किताबें वही पढ़ते हैं,
जिनका पृष्ठ आकर्षक लगे।
प्रसाधन वही खरीदते हैं,
जिनका विज्ञापन बहुचर्चित हो|
सिनेमा वही देखते हैं ,
जो अच्छी खासी बिकी हो
अब तो बातें भी वही करते हैं,
जो फायदा दिलाती हो।
हम विशिष्ट नहीं बन पाते. . . . . . . . . . ।
लगातार चलते जाते हैं उस पंक्ति में,
जहां न खत्म होने वाली भीड़ हो ।
दूसरों को तकते हैं उम्मीद भरी निगाह से,
और स्वयं से कोई वादा निभा नहीं पाते।
दिन रात दौड़ते भागते रहते हैं ,
कभी लिख नहीं पाते, गा नहीं पाते, बना भी नहीं पाते।
हम विशिष्ट नहीं बन पाते।।
ठंड में ठिठुरना नहीं चाहते,
गर्मी में पिघलना नहीं चाहते ,
बरसात में भीगना नहीं चाहते ।
जो पास है उसे महसूस करना नहीं चाहते,
अपनी विशेषता छोड़, दूसरे जैसा बन जाते।
इसीलिए हम विशिष्ट नहीं बन जाते. . . . . . . . । ।
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विशिष्टता |
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