बरसात की बूंदों में (Barsat ki Bundo mein)


बरसात की बूंदों में लिपटी ये रातें,

याद आने लगीं बीतीं सारी बातें।


कली की तरह खिल रही है ये बरसात,

हर सांस हुई गुलजार, पुष्पशाला सी बनी रात।


गीत गाती हैं बूंदें, सरगम की धुन सुना रहा आसमां,

इस नए रंग में सजी, मौसम की पहली बरसात ।


भीनी सी ठंडक, दिल की आग बुझाने लगी,

दर्द के रागों में बंधी, सुकून की लोरियाँ सुनाती ये रात। 


गहरी आँखों में बसी, बे फ़िकर सी ये बरसात,

ख्वाबों का धुंधला सिलसिला, प्यार भरी बातें साथ।


बरसात की रिमझिम सुन, दिल की धड़कन भी बढ़ी,

जीवन की गहराईयों में डूबती ये रात । 


बरसात की बूंदों में लिपटी ये रातें.......................। । 


Whatsapp Channel link: https://whatsapp.com/channel/0029VajLB0v5K3zRYB22Kz2U

Read this also : https://poetrywithmaira.blogspot.com/2024/06/blog-post_26.html 

No comments:

किताबें (Kitabein)

किताबें झाँकती हैं बंद अलमारी के शीशों से बड़ी हसरत से तकती हैं  महीनों अब मुलाक़ातें नहीं होतीं जो शामें उन की सोहबत में कटा करती थीं, अब अ...