बरसात की बूंदों में लिपटी ये रातें,
याद आने लगीं बीतीं सारी बातें।
कली की तरह खिल रही है ये बरसात,
हर सांस हुई गुलजार, पुष्पशाला सी बनी रात।
गीत गाती हैं बूंदें, सरगम की धुन सुना रहा आसमां,
इस नए रंग में सजी, मौसम की पहली बरसात ।
भीनी सी ठंडक, दिल की आग बुझाने लगी,
दर्द के रागों में बंधी, सुकून की लोरियाँ सुनाती ये रात।
गहरी आँखों में बसी, बे फ़िकर सी ये बरसात,
ख्वाबों का धुंधला सिलसिला, प्यार भरी बातें साथ।
बरसात की रिमझिम सुन, दिल की धड़कन भी बढ़ी,
जीवन की गहराईयों में डूबती ये रात ।
बरसात की बूंदों में लिपटी ये रातें.......................। ।
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