मैं दीपक हूँ(main deepak hun)

मैं दीपक हूँ


मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो
 मेरा मुस्काना है।

आभारी हूँ तुमने आकर

मेरा ताप-भरा तन देखा,

आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा आह-घिरा मन देखा,
करुणामय वह शब्द तुम्हारा
’मुस्काओ’ था कितना प्यारा।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है।

है मुझको मालूम!
पुतलियों में दीपों की लौ लहराती,
है मुझको मालूम कि
अधरों के ऊपर जगती है बाती,
उजियाला कर देने वाली
मुस्कानों से भी परिचित हूँ,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है। 
@H.R Bacchan


पहली सी मोहब्बत

 

            पहली सी मोहब्बत


मुझ से पहली सी मोहब्बत, मेरे महबूब, न माँग ....... 



मैंने समझा था के तू है तो दरख़्शां है हयात
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है 
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगों हो जाए
यूँ न था, मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए

मुझ से पहली सी मोहब्बत, मेरे महबूब, न माँग..... 

लौट जाती है इधर को भी नज़र क्या कीजे
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न, मग़र क्या कीजे . ... 
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा.. 


मुझ से पहली सी मोहब्बत, मेरे महबूब, न माँग☂️☂️

              @Faiz 

चाँद (Chaand)

 चाँद


आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ
आज फिर महकी हुई रात में जलना होगा
आज फिर सीने में उलझी हुई वज़नी साँसें
फट के बस टूट ही जाएँगी, बिखर जाएँगी
आज फिर जागते गुज़रेगी तेरे ख्वाब में रात
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता धुआँ



सादगी

सादगी सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | इक हिचकी में कह डाली सब दास्तान, हमने किस्से को यूँ मुख़्तसर कर लिया || सादगी त...