Hausala (courage)

मेरी रचना मेरी कल्पना

तेज लहरों से उलझ के कश्ती को, साहिल पे लगाना है
'मौन' रह के यूँ ही बढ़ता चल, अभी बहुत दूर जाना है।।

रखेगा खुद पे यकीन अगर निश्चित ही आगे चला जायेगा
उम्मीद क्यों है पाली तूने यहाँ कौन तेरा हौसला बढ़ायेगा।।

मेरी जिंदगी( My Life)


मेरी जिंदगी


ये मैं कैसी जिंदगी जी रही
कुछ बातों- यादों में..... 

ख़ुद को साबित कर रही
ख्वाबों - इरादों में...... 

ज़ुबां से मैं सच कह रही
सब ढूंढे सबूतों - गवाहों में... 

ये मैं कैसी जिंदगी जी रही
कुछ बातों- यादों में...... 

मैं चलती- ठेहरती जा रही
कहीं दूर - दराज़ो में..... 

मैं, मुझे ही ढूँढती फ़िर रही
गहरे अँधेरे - उजालों में....

बहुत कुछ खोते जा रही
चाह कुछ पाने में..... 


तू ही बता ए - जिंदगी,, 


तुझे , कैसे मैं जीती जा रही
गैर शहर की बाहों में.....।।


मेरी रचना मेरी कल्पना






उसने पूछा मुझसे He asked me)


उसने पूछा मुझसे



एक दिन उसने , पूछा मुझसे
क्या यूँ ही नई - नई बातें होतीं रहेंगी मुझसे? 

सुना था उसने कहीं , किसी के मुख से
कि अकसर बातें हो जाती हैं बेज़ार 
रोज यूहीं करते - करते किसी से ।

मैंने उससे कहा हँस कर, 
                 छोड़ो भी ये सारी बातें अब से...।


ना हम ज़माने से  और ना ज़माना हमसे
जानती हूँ तो बस इतना कि , 
मुझे सच्ची मोहब्बत है तुमसे।

हाँ वक़्त बदलेगा, कम होने लगेंगी तेरी बातें मुझसे, 
पर ना होंगी ये बेज़ार, मेरी तुझसे...तेरी मुझसे।।


मेरी रचना मेरी कल्पना

Kya likhu






क्या लिखूँ तेरे बारे में





Manrupi kagaz




मनरूपी काग़ज़


कैसे काग़ज़ पर उतारू वो बात, 
जिसे बयां न कर पाए मेरे जज्बात ।। 

मिलते चले गए यू तो कई हज़रात, 
न हो पायी तो बस विचारो से विचारो की मुलाकात।। 

दिन बीतते गए, बीते कई रात, 
जिंदगी लाई कभी खुशिया तो कभी गमो की बरसात।। 

याद आती है तुम्हारी बातें और वो नटखट सवालात , 
जिस नये पन से हुई थी नये हौसले की शुरुआत ।। 

क्या रिश्ता है हमारा? 
पढ़ने वाले के मन मे उठे हज़ारो खयालात ।। 

ये है मन रूपी काग़ज़ पर, मेरे कोमल शब्दो की सौगात

कैसे काग़ज़ पर उतारू वो बात, 
जिसे बयां न कर पाए मेरे जज्बात।। 

मेरी रचना मेरी कल्पना 

Bura waqt










बुरा वक़्त


इस वक़्त में न तू मसीहा , न  मैं फ़कीर 
मिलेगा जो  कुछ  भी  जिसे , वो उसके किस्मत की  लकीर 
ये  परीक्षा है बस तेरे  बड़े दिल और मेरे  धीर  की  . 
माँगा है मैंने  मेरी मेहनत का निवाला 
तोड़ी है हर बेड़ी उधारी  के जंजीर की. 








Tumse milkar


तुमसे मिलकर ही तो मैंने जाना है , 
चाहतों का सिलसिला शायद बहुत पुराना है 

खुली आँखों से तेरा ख्वाब देखना , 
ये कैसा अफसाना है ?

उम्मीद नहीं तेरे साथ निभाने की , 
पर तमन्ना-ए-दिल तेरा साथ पाना है 

कोई दूसरा अर्थ नहीं इस बात का , 
इसका मतलब तेरा दूर जाकर भी मेरे पास आना है 

न चाहू तुझे कैद करना अपनी चाहत में , 
तू जिधर भी देखे बस तेरा ही जमाना है .

मेरा अंदाज़े इश्क़ न समझा कोई ,
हर किसी को बदले में कुछ तो ले ही जाना है .

कुछ बातें ले गए , कुछ वादे ले गए 
मुझे तो तेरी यादों से बना महल सजाना है 

जीतने का हौसला रखते हैं हम भी ,
पर तेरी ख़ुशी के आगे सब हार जाना है.

शब्द कम  नहीं पड़ते लिखते - लिखते ,
ऐ समझने वाले अब और क्या समझाना है .......!



मेरी रचना मेरी कल्पना 

सादगी

सादगी सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया | इक हिचकी में कह डाली सब दास्तान, हमने किस्से को यूँ मुख़्तसर कर लिया || सादगी त...