सादगी
सादगी तो हमारी जरा देखिये, एतबार आपके वादे पे कर लिया |
इक हिचकी में कह डाली सब दास्तान, हमने किस्से को यूँ मुख़्तसर कर लिया ||
सादगी तो हमारी ज़रा देखिए एतबार आप के वादे पर कर लिया ।।
बात तो सिर्फ़ इक रात की थी मगर इंतिज़ार आप का उम्र-भर कर लिया
इश्क़ में उलझनें पहले ही कम न थीं और पैदा नया दर्द-ए-सर कर लिया
लोग डरते हैं क़ातिल की परछाईं से हम ने क़ातिल के दिल में भी घर कर लिया
ज़िक्र इक बेवफ़ा और सितमगर का था आप का ऐसी बातों से क्या वास्ता
आप तो बेवफ़ा और सितमगर नहीं आप ने किस लिए मुँह उधर कर लिया
ज़िंदगी-भर के शिकवे गिले थे बहुत वक़्त इतना कहाँ था कि दोहराते हम
एक हिचकी में कह डाली सब दास्ताँ हम ने क़िस्से को यूँ मुख़्तसर कर लिया
बे-क़रारी मिलेगी मुझे न सुकूँ चैन छिन जाएगा नींद उड़ जाएगी
अपना अंजाम सब हम को मालूम था आप से दिल का सौदा मगर कर लिया
ज़िंदगी के सफ़र में बहुत दूर तक जब कोई दोस्त आया न हम को नज़र
हम ने घबरा के तन्हाइयों से 'सबा' एक दुश्मन को ख़ुद हम-सफ़र कर लिया ।।
@नुसरत फतेह अली खां साहब