सोच की कोई दिशा नहीं पर समझ की सुन्दर काया है Soch ki koi disha nahi pr samjh ki sundar kaya hai.
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खुश हूँ
खुश हूँ खुश हूँ दिन भर मुद्राएं जोड़ने में खुश हूँ उन्हें न खर्च करने में।। खुश हूँ स्वयं को ब्यस्त रखने में, खुश हूँ किसी को न मिलने में...

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तुमसे मिलकर ही तो मैंने जाना है , चाहतों का सिलसिला शायद बहुत पुराना है खुली आँखों से तेरा ख्वाब देखना , ये कैसा अफसाना है ? ...
7 comments:
Bhut sundar pankitiya
🙌👏👏
👍👍💫
👌👌👌
beautiful lines
Thanks 🌹
🌹🌹🌹
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