समीक्षा
आओ जाने क्या फ़र्क़ है
दो अलग विचारों और अनुभवों के खेल का।
कई जन्मों में बीत चुकी , कहानी के अधूरे अंत का।
पुरानी यादों का ज़ख़ीरा वो ढो ना पाई
साथ भी वो किसी के रह ना पाई
जुट गयी, खुद को खुद का साथी बनाने में
भूली बातों को, फिर से भुलाने में।।
उस तरफ, वो अपनी चाहत का मकां बनाता गया
हो चली गलतियों को सुधारने का मौका बनाता गया ।
पिछली जिंदगी ,उसे परेशां करती रही
न चाह कर भी, वो उससे मिलती रही।
उसके पुराने अनुभवों ने बनाया उसे कठोर था
"प्रेम का बंधन, एक अमर फूल की तरह है"
ये दोनो को याद था।।
व्यक्तिगत प्रेम और देश प्रेम मे
उलझी रही थी , उनकी बीती कहानी
वो साथी थे कई जन्मों के, ये अब जानने लगे
बिना बंधन मे उलझे ही, एक दूजे का साथ निभाने लगे।।
विचार सुखद अनुभव मे बदल गया
प्रेम फिर से अमर फूल बन गया।।
"समीक्षावाद" पर
प्रसिद्ध दार्शनिक कांट ने कहा
"सच्चा ज्ञान तब प्राप्त होता है जब अनुभव और बुद्धि एक खास तरीके से जुड़ते हैं " ।
7 comments:
👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻
Bahut bdiya keep it up..👍🏻🥂
Thanks 💐
Nice
Awesome 👍
Very nice
THANK U MAM
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