सोच की कोई दिशा नहीं पर समझ की सुन्दर काया है Soch ki koi disha nahi pr samjh ki sundar kaya hai.
कुछ ख़ास नहीं
कोई तुमसे पूछे , मैं कौन हूँ ?
तुम कह देना , कुछ ख़ास नहीं |
एक दोस्त है कच्चा - पक्का सा
एक झूठ है कुछ सच्चा सा
एहसास के परदे से छिपा
ये जज्बा है कुछ अच्छा सा
दूर होकर भी वो पास नहीं ,
तुम कह देना , कुछ ख़ास नहीं ||
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