Khwab (Dream)



यूँ ज़िंदगी के ख्वाब दिखा गया कोई

मुस्कुरा के, अपना बना गया कोई .....

 

बहती हवाओं  को यूँ थाम कर

कोयल की तरह , गीत सुना गया कोई ……

 

एक प्यारी सी मुस्कराहट से ....

ग़मो की चादर हटा गया कोई |

 

धूल लगी किताब के पन्ने जब मैंने पल्टे..

सूखे गुलाब की खुसबू याद दिला गया कोई |

 

बारिश की रिम झिम बूंदो के बीच ...

बिन आहट के अपना बना गया कोई |

 

मैं सिमटी हुई सी पुरानी बातों की गरदिश में

फिर से मुझे जीने का मकसद सीखा गया कोई ....

 

At Home, Corona, House, Virus, Covid-19, Curfew



 


शहर की रानाईयां

 जगमगाते शहर के रानाईयों में, क्या न था  ढूंढने निकला था जिसको मैं, वही चेहरा न था ।।  मिलते चले लोग कई, राह में क्या न था  ढूंढने निकला था ...